Contact for Advertising

Contact for Advertising

Latest News

रविवार, 10 सितंबर 2017

मूत्रमार्ग का इन्फेक्शन, जानकारी और बचाव


यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) यानि की मूत्र मार्ग में होने वाले संक्रमण की बीमारी। यूरिनरी सिस्टम के अंग जैसे गुर्दा (किडनी) , यूरिनरी ब्लैडर और यूरेथ्रा में से कोई भी अंग जब संक्रमित हो जाए तो उसे यूटीआई संक्रमण कहते हैं। अगर समय रहते इलाज न करवाया जाए तो से यह ब्लैडर और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

इस समस्या का शिकार वैसे तो कोई भी हो सकता है लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इसकी शिकार ज्यादा होती हैं। महिलाओं में 40 की उम्र के बाद ही यह परेशानी ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हॉरमोन का निर्माण कम होता है लेकिन कई बार प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई ना रखने व अन्य कई कारणों से कम उम्र की लड़कियों को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।
77 प्रतिशत महिलाएं अकेले पेशाब संबंधी तकलीफों की शिकार होती हैं, लापरवाही और शर्म की वजह से महिलाएं इस बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती तब तक इंफैक्शन काफी बढ़ चुका होता है।


यूरिन इंफैक्शन के लक्षण

इसके लक्षण दिखने पर बिना किसी लापरवाही के तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।

- मूत्र त्याग के समय जलन होना
-रुक-रुक कर पेशाब आना
- पेड़ू में दर्द
-कभी कभार मूत्र त्यागते समय खून आना
-दुर्गंध युक्त पेशाब..
- यह बुखार, उल्टी और पीठ दर्द का कारण भी बनता है।


बरतें कुछ सावधानियां

1.यूरिन को ज्यादा देर ना रोकें
अगर आप घंटों तक पेशाब को रोके रहते हैं तो ऐसा ना करें। दबाव बनने के बाद अगर 3 से 4 मिनट भी पेशाब रोका जाए तो टॉक्सिन तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं,जिसे रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं। इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है। इसलिए ब्लैडर को तुरंत खाली करें। इस इंफैक्शन को दूर करने के लिए आप क्रैनबेरी जूस का सेवन कर सकते हैं।
2.सैक्स के बाद जरूर त्यागें यूरिन
इंटरकोर्स के बाद मूत्र त्याग जरूर करें क्योंकि इससे बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं और इंफैक्शन का खतरा कम हो जाता हैं। खासकर डाक्टर महिलाओं को ऐसा अवश्य करने की सलाह देते हैं।
3.नमी ना रखें
मूत्र त्याग करने के बाद योनि को अच्छे से साफ करें और नमी ना छोड़ें ताकि बैक्टीरिया मूत्र मार्ग के जरिए इंफैक्शन ना फैला सकें।
4.पीरियड्स के दिनों में साफ सफाई
माहवारी के दिनों में प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। इस्तेमाल किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन को हर 6 घंटे में बदलें।
5.बबल बाथ को कहे ना
बाथटब में बबल बाथ लेने से बचें क्योंकि झागदार पानी में लंबे समय तक गिला रहने से मूत्रमार्ग में जलन पैदा हो सकती हैं।
मूत्रमार्ग का इन्फेक्शन, जानकारी और बचाव
  • Title : मूत्रमार्ग का इन्फेक्शन, जानकारी और बचाव
  • Posted by :
  • Date : सितंबर 10, 2017
  • Labels :
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Top