दोस्तों हिंदुस्तान में एक से बढ़कर एक बादशाह हुए थे और सबकी अपनी एक अलग पहचान थी। जब अंग्रेजों ने एक एक करके बादशाही ख़तम करने का निर्णय लिया तो उस समय एक बादशाह ऐसा था जो अपने अंतिम समय तक उनके काबू में नहीं आया था लेकिन बादशाह भी आखिर था तो इंसान ही ना और अंग्रेज जुल्म करने में कभी पीछे नहीं हटते थे।
इस बादशाह को झुकाने के लिए अंग्रेजों ने इसके सामने इनके बेटों का सर काट कर थाली में रख कर खाने की जगह परोस दिया था जिसे देखकर बादशाह पूरी तरह से टूट गया था और उस बादशाह का नाम था बहादुर शाह जफ़र। ये हिंदुस्तान के आखिरी बादशाह थे। इनकी मौत 1862 में बर्मा की रंगून जेल में हुयी थी।
आज भी हुन्दुस्तान के बड़े बड़े नेता जब भी बर्मा जाते हैं तो बहादुर शाह जफ़र की दरगाह पर जाना नहीं भूलते। ये अपने पिता अकबर शाह द्वितीय की मौत के बाद गद्दी पर बैठे थे। आपको बता दें की 1857 की क्रांति के समय इन्होने की क्रांति की अगुवाई अंग्रेजों के खिलाफ की थी लेकिन उन्हें हार की कहानी पड़ी थी और फिर अपनी बाकि बची हुयी जिंदगी जेल की कोठरी में बितानी पड़ी थी। 1862 में उनकी जेल में ही मौत हो गयी थी लेकिन उन्होंने हिंदुस्तान के लिए अंग्रेजों को हमेशा से ललकारा था और अपनी जिंदगी में अंग्रेजों को भगाने का प्रयास करते रहे थे।
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