घुटने घिस जाने के कारण बदलवाने की नौबत आ गयी है तो पहले एक बार बबूल और हरसिँगार का यह प्रयोग आजमा कर देख लें
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उम्र बढ़ने के साथ साथ घुटनों का घिस जाना बुजुर्ग लोगों के सबसे बड़ी पीड़ा की दशा बन जाती है और एक समय के बाद डॉक्टर बोल देते हैं कि घुटने बदलवा लो । इस अवस्था से आपके भी परिचय में कोई व्यक्ति हों तो उनको एक बार यह प्रयोग जरूर आजमाने के लिये बोलें, बहुत उम्मीद है कि बिना घुटने बदलवाये ही उनको काफी आराम आ जायेगा । जानिये इस प्रयोग के बारे में ।
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बबूल अथवा कीकर के पेड़ से आप सब भली भाँति परिचित होंगे ही । हमको बस इस बबूल के पेड़ की फलियॉ चाहियें । बबूल के पेड़ की फलियों को तोड़ कर उनको बीजों के साथ ही धूप में पूरी तरह सुखा लें और इमामदस्ते में दरदरा कूटकर, मिक्सी में चला कर उसका बारीक चूर्ण तैयार कर लें । आपकी पहली दवा तैयार है । इसको काँच की साफ और एयर टाईट शीशी में भरकर रख लो ।
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दूसरी चीज आपको चाहिये हरसिँगार के पेड़ के पत्ते । हरसिँगार के पेड़ के पत्तों का काढ़ा आपको रोज सेवन करने से पहले ताजा तैयार करना पड़ेगा । काढ़ा तैयार करना बहुत आसान है और इसकी विधी हम आपको बता रहे हैं । काढ़ा तैयार करने के लिये हर्सिँगार के दस पत्ते लेकर उनको 200 मिलीलीटर पानी के साथ साफ बरतन में उबलने के लिये रख दो । जब उबलते उबलते पानी 100 मिलीलीटर बाकि रहे तो उतार कर छान लों और पीने लायक ठण्डा करके पीना है ।
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सेवन विधी :-
बबूल की फलियों का चूर्ण 3 ग्राम औरहरसिँगार के पत्तों का काढ़ा 100 मिलीलीटर एक बार में पीना है और ऐसी दिन में दो खुराक पीनी हैं । एक बार सुबह को और एक बार शाम को । यह प्रयोग लगातार 60 दिन तक करने से घुटनों में वापिस जान आने लगती है ऐसा हमारी जानकारी में कुछ रोगियों का अनुभव है । यदि इस प्रयोग के साथ रोज एक बार गाय के दूध से बने देशी घी से घुटनों की हल्की हल्की मालिश की जाये तो और भी उत्तम परिणाम मिलने की सम्भावना होती है ।
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इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित हैं, फिर भी आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही इन प्रयोगों को करने की हम आपको सलाह देते हैं ।
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