पैसे से कोठी, बंगला, गाड़ी तो खरीद सकते हो, लेकिन मन में चैन और शांति नहीं : भगत संजीव कुमार
बाबा बालकनाथ के झंडों की शोभा यात्रा निकाली
भगत संजीव कुमार ने श्रद्धालुओं के घरों पर की ज्योत प्रज्जवलित
हिसार (अभिनव शर्मा)। तरसेम नगर स्थित सिद्ध बाबा बालकनाथ एवं दुर्गा माता मंदिर से बाबा बालकनाथ जी के झंडे की शोभा यात्रा का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया। इस शोभा यात्रा में हरियाणा के अलावा, पंजाब, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह जानकारी देते हुए मंदिर सेवक रामचरण गुप्ता ने बताया कि रविवार को सुबह भगत संजीव कुमार जी (लुधियाना वाले) के नेतृत्व में शुरू हुई बाबा बालकनाथ जी के झंडे की शोभा यात्रा तरसेम नगर स्थित मंदिर प्रांगण से शुरू हुई। यह शोभा शोभा यात्रा तरसेम नगर से होती हुई मिल गेट, जहाज पुल, नागोरी गेट, पारिजात चौक, राजगुरु मार्केट, डोगरान मौहल्ला, शांति नगर, मुलतानी चौक, 12 क्वार्टर रोड, शिव नगर सहित शहर के मुख्य क्षेत्रों से होती हुई मंदिर प्रांगण में पहुंची। इस दौरान भगत संजीव कुमार जी ने श्रद्धालुओं के घरों पर ज्योत प्रज्जवलित की। शोभा यात्रा के मंदिर प्रांगण में पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं को भगत संजीव कुमार ने प्रवचन दिए। उन्होंने बाबा बालकनाथ जी द्वारा छोटी से आयु में तपस्या करने, माता रतनो को 12 वर्ष की लस्सी-रोटी वापस देने के बारे में श्रद्धालुओं को भजनों व प्रवचनों के माध्यम से विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हमें गुरु का हमेशा आदर करना चाहिए। गुरु से ही हम ज्ञान लेकर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा उत्साह और लग्न से काम करना चाहिए। जो भी कार्य करें, उसे मन से करना चाहिए। मन और श्रद्धा के बिना किया गया कार्य कभी सफल नहीं होता। भगत संजीव कुमार ने कहा कि भक्ति लग्न और मन से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे गीता, रामायण को कितना भी याद कर लो जब तक मन साफ नहीं उसका कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें मन को सपने में भी नहीं डोलने देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पैसा जरूरी तो है, लेकिन इतना बड़ा नहीं है कि पैसे से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। पैसे से कोठी, बंगला, गाड़ी तो खरीद सकते हो, लेकिन मन में चैन और शांति नहीं खरीद सकते। यह तो आपको अपने अच्छे कार्य से ही हासिल होगी। भगत संजीव कुमार जी ने कहा कि पैसे का जीवन में आना-जाना लगा रहता है आज आपके पास है, कल किसी ओर के पास है। पैसे गतिमान होता है। यह किसी के पास नहीं रूकता, इसलिए इसके पीछे हमें पागल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ठगी और बेइमानी के पैसे से आप कितना भी दान कर दो, कितना ही चढ़ावा चढ़ा दो, कोई फायदा नहीं होता क्योंकि यह दिखावा हम जनता में तो कर सकते हैं लेकिन भगवान के आगे नहीं। इसलिए हमें नेक और ईमानदारी से काम करना चाहिए। भगत संजीव कुमार ने कहा कि अच्छे कर्म करो, फल की चिंता मत करो, हमारे किए कर्मों का फल भगवान अवश्य देगा। उनहोंने ने कहा कि पैसे से कभी शांति नहीं मिलती, अगर पैसे से शांति मिलती तो फिर धनवान लोगों के पास ही शांति होती। भगत संजीव कुमार ने कहा कि जीवन में आलस्य को कभी अपने ऊपर हावी न होने दे। उन्होंने कहा कि पेट तो हर जीव भरता है लेकिन भगवान ने मनुष्य को हर तरह की सोचने व समझने की शक्ति दी है। इसलिए हमें प्रभु की दी हुई इस शक्ति का सही प्रयोग करते हुए ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे कि हमारे कार्य से भगवान भी खुश हो। भगत संजीव कुमार ने कहा कि प्रभु की भक्ति में लगाया गया एक-एक पल जीवन में काम आता है। उन्होंने कहा हमें पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का ध्यान भक्ति भाव की ओर भी लगाना चाहिए। जब बचपन से ही बच्चे का ध्यान भक्ति की ओर लगना शुरू होगा तो उसमें बचपन से ही अच्छे संस्कार पैदा होने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने माता-पिता व गुरुजनों का हमेशा आदर करना चाहिए। भगत संजीव कुमार जी द्वारा प्रस्तुत किए भजनों पर श्रद्वालु झूम उठे।
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