बरनाला जिले में फिर दोहराया जा रहा है 2006 का इतिहास ,
आप को तो याद भी नही होगा वामपंथी ताकतों ने किस तरह भोले भाले किसानों को मोहरा बना कर जिले का कितना नुकसान किया है । जमीन एक्वायर के विरोध में धरना प्रोटेस्ट तो सबको याद होगा? हम पत्रकारों ने भी बिना सोचे समझे ट्राइडेंट द्वारा लगाए जा रहे प्रोजेक्ट के विरोध में न जाने कितनी खबरे लगाई होंगी । क्या हुआ नुकसान किसका हुआ ? इलाके का ,हमारा ,ट्राइडेंट तो अपना प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में ले गया , उसे कोई अंतर नही पड़ा । परन्तु बरनाला जिले को बहुत नुकसान हुआ , कहते है कि विरोध करने वाले आगुओ ने पीढ़ियो के लिए कमा लिया । * अगर वो प्रोजेक्ट भी आज मध्यप्रदेश की जगह यहाँ लगता तो कितना विकास होता हमारे इलाके का । ट्राइडेंट के बिना बरनाला एक टाउन के सिवाय कुश भी नही है ।
अब फिर वोही ताकते भोले भाले किसानों के नाम पर फिर वोही इतिहास दोहराने की फिराक में लगती है। बहुत लोग मुझे बिकाऊ कहेंगे । परन्तु कोई भी मेरे घर मे आ के देख ले ट्राइडेंट का एक तौलिया तक नही मिलेगा । आओ बताता हूं ट्राइडेंट क्या करता है
किसानो क़े खेतों में आग लगती है तो सबसे पहले TridentGroup की fire brigade व fire fighter पहुँचते है
*आसपास के एरिया में कोई रोड़ accident होता है तो trident की ambulance पहले पहुँचती है
*क़िसानो की ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को बचाने के लिए , ओर प्रदूषण से बचाने के लिए पराली को आग ना लगाकर खुद के पैसे से खेतों को साफ़ करवाते है
*शहर में कोई आपदा आती है तो Trident मदद के लिय पानी कि तरह पैसा बहाती है (कोरोनाकाल देख लो )
* शहर में जगह जगह फ़्री सिलाई शिक्षा केंद्र चला रखे है
* ग़रीब लोगों के लिए फ़्री दवाखाना चल रहा है
* काफ़ी लोगों को मकान का किराया आता है
* 70 % पंजाब के लोगों को नोकरिया दी हुई है
* काफ़ी किसान मज़दूर तुड़े ओर पराली का काम करते है
* बहुत सारे लोगों को ट्रांसपोर्ट का काम मिला हुआ है
* शहर के व्यापारियों को भी एक बड़ा business मिलता है
* होटेल trident पे टिके हुए है
* NH मार्केट ओर GE cinema trident की वजह से शहर मैं आए
* नोज़वानो क़ो नशे से बचाने के लिए खुद का स्टेडियम देकर क्रिक़ेट फूटबाल जैसे खेलों की तरफ़ ले जाया जा रहा है
* बरनाला मैं sacred heart जैसे school TridentGroup की देन है
लेकिन ये ना हो ये समझने मैं हमें बहुत देर हो जाए
सरकारें पंजाब में इंडस्ट्रीज लाने की बड़ी बड़ी बाते तो करती हैं परंतु लगी हुई इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए कोई प्रयास नही करती
राकेश पुंज
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