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मंगलवार, 19 जुलाई 2022

🚩राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक विनायकराव कानेटकर का देवलोकगमन विनम्र श्रद्धांजलि

🚩🚩राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक विनायकराव कानेटकर का देवलोकगमन
विनम्र श्रद्धांजलि💐💐💐💐💐💐💐


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक विनायक विश्वनाथ कानेटकर (८३ वर्ष) का सोमवार (१८ जुलाई) सुबह पुणे के कौशिक आश्रम में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार वैकुंठ शमशानभूमि में किया गया।

विनायकराव कानेटकर का जन्म ५ सितंबर, १९३९ को हुआ था। उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से अर्थशास्त्र में एमए किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में १९६१ से १९६३ तक कार्य करने के बाद, वे संघ के प्रचारक बन गए। कोल्हापुर जिले के करवीर और पन्हाला में पहली बार काम करने के बाद, वे १९६५ से प्रचारक के रूप में असम चले गए। वहां उन्होंने कामरूप जिला, गुवाहाटी नगर व तेजपुर संभाग आदि स्थानों पर काम किया।

कानेटकर ने १९८४ से १२ वर्षों तक असम के प्रांत सह-बौद्धिक प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद उन्होंने १९९६ से २००३ तक इतिहास संकलन योजना में काम किया। साथ ही २००३ से २००४ तक भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयुक्त संगठन मंत्री और २००७ से २०१६ तक संगठन मंत्री के रूप में काम किया। पांच दशक से अधिक समय तक कार्य करने के बाद २०१६ में विनायक कानेटकर सभी दायित्वों से मुक्त हो गए थे। वर्तमान में वे कौशिक आश्रम में रह रहे थे, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. शरद कुंटे ने कहा कि असम, पूर्वांचल जैसी जगहों पर प्रचारक के तौर पर काम करने वाले विनायकराव कानेटकर अंतिम सांस तक काम करते रहे। उन्होंने कभी अपनी बीमारी की परवाह नहीं की। खुद को हमेशा व्यस्त रखा। उन्होंने शैक्षिक संगठन भारतीय शिक्षण प्रसारक मंडली में बहुमूल्य योगदान दिया। संघ को न जानने वाले लोगों को रा. स्व. संघ समझाने की उनकी शैली प्रशंसनीय थी। उनका निधन मेरे लिए एक चौंकाने वाली सूचना है।

केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे ने कहा, "विनायकराव कानेटकर से मेरा परिचय उस समय से था, जब वे एबीवीपी के लिए काम कर रहे थे। वे पहले कुछ स्वयंसेवकों में से थे जो संघ के काम के लिए पूर्वांचल गए थे। आज हम जो असम से अरुणाचल प्रदेश तक संघ का कार्य देखते हैं, उसकी नींव रखने वाले उन लोगों में से वे एक थे। उन्होंने बहुत प्रतिकूल परिस्थितियों में काम किया। कानेटकर एक असाधारण और बहुत ही सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री के रूप में उनका काम अधिक महत्वपूर्ण था। उनका आग्रह था कि शिक्षा का भारतीयकरण किया जाना चाहिए। इसके लिए कई गतिविधियां चलाई।  उनका स्वास्थ्य पिछले कुछ वर्षों से ठीक नहीं था। हालांकि, वह शाखा में आकर सभी का मार्गदर्शन करते थे। उनके जाने से हमने एक वरिष्ठ कार्यकर्ता खो दिया है।"

प्रबोधन मंच के पुणे महानगर संयोजक विनायक गोगटे ने कहा, "विनायक जी कानेटकर प्रबोधन मंच के हर कार्यक्रम में शामिल होते थे और एक बार परिचित होने के बाद किसी को कभी नहीं भूलते थे।"

जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के कार्यकर्ता मकरंद दिवेकर ने कहा, "मैं उनसे मिलने कौशिक आश्रम जाता था। वे असम में अपने काम और अन्य विषयों पर खूब बातें किया करते थे। चूंकि वे मूलतः सांगली के रहने वाले थे और मैं खुद उस इलाके से हूं, इसलिए मैं उनसे ज्यादा खुलकर बात करता था। अगर वे यात्रा के लिए बाहर जाना चाहते, तो मैं उन्हें कार में ले जाता था। उनके अचानक चले जाने से ये यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी। मेरी तरफ से शतश: नमन!!"

कोंकण प्रांत प्रचारक सुमंत अमशेकर ने कहा, "असम और मेघालय क्षेत्र में काम करते हुए मैं बैठकों के दौरान कानेटकर जी से मिलता था। बहुत कठिन समय में उन्होंने उस क्षेत्र में संघ कार्य किया। उनके समय में गठित प्रचारक आज प्रांत और क्षेत्र स्तर पर काम कर रहे हैं। वे हर काम में आग्रही थे। वे बहुत मृदुभाषी थे। सीधे-सादे विनायकराव ने हमेशा बारीकियों के साथ निर्दोष काम करने पर जोर दिया। संघ के दायरे से बाहर के बुद्धिजीवियों से उनका घनिष्ठ संपर्क था। सामाजिक नेतृत्व से संपर्क भी अच्छा था। इसलिए स्वाभाविक रूप से कालांतर में उनके योगदान के चलते संघ को सभी स्तरों पर अपनी भूमिका समझाने में मदद मिली।बहुत कठिन समय में उन्होंने जो काम किया है, वह समाज के लिए अमूल्य है।"🚩🚩
विनम्र श्रद्धांजलि🚩🙏🏻
🚩राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक विनायकराव कानेटकर का देवलोकगमन विनम्र श्रद्धांजलि
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  • Date : जुलाई 19, 2022
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