जननी जने तो संत जने या दाता या सूर , नहीं तो जननी बाँझ रहे ,काहे गवांये नूर ।
मां तुझे सलाम। शत शत नमन मां हीराबेन मोदी ।
आप के रूप में आज एक युग का अंत हो गया है । परंतु आप के वटवृक्ष से एक रुद्राक्ष रुद्रावतार पर एक सनातनी भारतीय होते हुए मुझे गर्व है । अभिमान है मुझे मेरे परधनमंत्री पर।
आप की तपस्या ,आप की मेहनत ,आपके संस्कार ,आप की लगन से आपने एक ऐसा राष्ट्रभक्त पैदा किया है ,जिससे हम सब सनातनी भारतीय पूरे यकीन से कह सकते है कि अखंड भारत का सपना अब जल्द पूरा होगा ।
आपके बेटे माननीय भाई नरेन्द्र मोदी हमारे देश भारतवर्ष
के प्रधानमंत्री होने के नाते ना केवल देश के प्रति निष्ठावान हैं बल्कि देश और राष्ट्र के लिए जो प्रेम उनके दिल में हैं वही प्रेम उनका आपके यानी कि उनकी मां हीराबेन के प्रति भी साफ साफ दिखाई देता है,और हो भी क्यों न मां हीराबेन ने जिस रत्न को गढ़ा है वो कोई साधारण व्यक्ति नहीं है वो रुद्रावतार इस देश के गौरव हैं। ऐसा पुत्र जनने के लिए हीराबेन जैसी मां के लिए सभी स्नातनियों के दिल में सम्मान और श्रद्धा हैं ,एक मां जिसने तमाम कठिन परिस्तियो में अपने बच्चों को पालकर बढ़ा किया और जो संस्कार के साथ जो रास्ता दिखाया है आज वही रास्ता देश को तरक्की की राह पर ले जा रहा है। आप जैसी मां की वजह से इस देश को ऐसा नायाब हीरा मिला है।
कहते है कि मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उसके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है। ये पंक्तियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैं,अपनी मां के लिए मोदी जी ने मां हीराबेन जी के 100वें जन्मदिन पर 18 जून 2022 को लिखा था।
मां हीराबेन का सौ वर्षों का सफर वाकई भारतीय आदर्शों का प्रतीक है सादगी की मूर्ति और हमेशा शांत मुद्रा में हीराबेन इस देश में किसी प्रतीक से कम नहीं है और सभी जानते हैं की देश के प्रधानमंत्री अपनी मां को लेकर किस हद तक भावुक हैं। मां के प्रति सम्मान स्नेह प्यार दुलार और अपार श्रद्धा का भाव प्रधानमंत्री के मन में उनके लिए है वह जग जाहिर हैं।
एक मां का अपने बच्चों पर भरोसा होता है की एक दिन वो जग में नाम करेंगे और बच्चे जब नाम कमाते हैं तब मां को लगता है उसका जीवन धन्य हुआ उसने सचमुच एक नायाब हीरा जाना है जिसने लोक और उसके कल्याण के लिए खुद को समर्पित कर दिया है , ये साधारण बात नहीं है की एक मां के तौर पर बच्चों की परवरिश और उसमे देश भक्ति और प्रेम का भाव भरना दोनो ही मातृत्व पक्ष के बेहतरीन पहलू है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्य दक्षता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि धन्य है वो कोख, धन्य है वो मां ,जिसने अपना सब कुछ देश को सौंप दिया है।
अब मां हीराबेन नहीं हैं। अहमदाबाद में उनका निधन हो गया,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन पंचतत्व में विलीन हो गईं। प्रधानमंत्री भाई नरेन्द्र मोदी ने अपने भाई के साथ मिलकर उन्हें मुखाग्नि दी। लेकिन उनके किस्से अब भी हैं। कुछ प्रधानमंत्री के सुनाए-बताए और कुछ दूसरों की जुबानी। कुछ किस्से जो उनके साथ ही चले गए और कुछ किस्से रह गए है,ऐसे किस्से जो बताते हैं कि भाई नरेंद्र मोदी के इस सफर में उनकी कितनी भूमिका थी और एक बेटे को राष्ट्र वादी बनाने में उन्होंने क्या क्या कुर्बानी दी है।
धीरे-धीरे वक्त बदलता गया और हालत बदलते गए।एक छोटी सी जिंदगी का इतना विराट सफर मां हीराबेन को मिला जो सचमुच किस्मत वालों को मिलता है। एक मां के तौर पर वो बेमिसाल थी,एक साधारण घरेलू महिला जिसने जीवन में हर दुख झेले और जीवन के अंत क्षणों में पूरे देश की मां हो गई।धन्य है वो पुत्र और धन्य है वो मां भी। शत शत नमन।
कहते है कि घर का खर्च चलाने के लिए मां हीराबेन कुछ घरों में बर्तन मांजती थीं। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा भी चलातीं,सूत काततीं। मां हीराबेन, दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। प्रधानमन्त्री मोदी की मां 100 वर्ष की उम्र में भी खुद के हाथों से सभी काम करना पसंद करती थीं. भाई नरेंद्र मोदी जी ने अपनी मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर कहा था कि उनकी मां हीराबेन को सुबह 4 बजे ही उठने की आदत हमेशा रही है. सुबह-सुबह ही वो बहुत सारे काम निपटाती थीं. गेहूं पीसना हो,बाजरा पीसना हो, चावल या दाल बीनना हो, सारे काम वो खुद करती थीं। इसके साथ ही वे अपनी पसंद के भजन भी गुनगुनाती रहती थीं।
हर बच्चे के व्यक्तित्व को निखारने में मां की भूमिका अहम होती है और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जीवन में सबसे बड़ी भूमिका उनकी मां की ही रही है, खुद प्रधानमंत्री इस बात को स्वीकार करते हैं और हमेशा ही उनके बारे में कुछ न कुछ शेयर करते रहते हैं।एक मां जिसने लंबी जिंदगी जी और भरा पूरा परिवार देखा अपने पुत्र को देश के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचते देखा। और हर बार देशहित में कठिन फैसलो को लेने की क्षमता माननीय मोदी जी को मां हीराबेन के जीवन से ही मिली है ।
मां हीराबेन आज इस संसार को अलविदा कह गए है परंतु वो अपने पीछे छोड़ गई है एक पूरी संस्कृति एक शानदार राष्ट्रवादी विरासत ,एक मिसाल । 100 वर्ष की जिंदगी एक लंबी जिंदगी होती है, इस लंबे जीवन में मां हीराबेन ने जो कुछ भी पाया वो जीवटता और सनातन संस्कृति पर कभी न हार माने की अनूठी कला है जिसका उदाहरण वो पूरे देश के लिए छोड़ गई है ।
देश के प्रधानमंत्री के नाम दुनियां भर से शोक संदेश आ रहे हैं पूरा देश गमगीन है खुद भाई नरेंद्र मोदी जी अपने आंसू छिपा नहीं पा रहे हैं।ऐसे में उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी, कि मानवीय मूल्यों को समझा जाए और इस विराट विश्व के छोटे से समय में जो कुछ भी हमें हासिल है ,उसके लिए पूरे जी जान से हमें कोशिश करनी चाहिए ताकि हमे जीवन का महत्व समझ में आए जिससे बेहतर सुखी जीवन जीने के लिए सादगी को ही अपना हथियार बनाएं।
देश के प्रधानमंत्री की मां होने के अलावा मां हीराबेन एक जीवट महिला और देश के लिए सच्ची निष्ठा रखती थी। उनका गो लोक जाना एक युग के चले जाने का प्रतीक है सौ साल का लंबा समय तय करना खुद में एक आश्चर्य है।उनका जाना कई मायनों में देश के लिए एक न पूरी होने वाली क्षति है।
मां हीराबेन एक महान मां जिसने संघर्ष और दृढ़ता की मिसाल कायम की है ,धन्य है वो मां और धन्य है वो पुत्र जिसे इतना गौरवशाली रिश्ता मिला।इस मां बेटे के प्रेम को लंबे समय तक भारतभूमि में याद रखा जाएगा और मां का बेटे पर भरोसा और निष्ठा उस बेटे का सच में ऐसा महसूस होता है कि दोनों के दूसरे के पूरक थे एक आदर्श समाज का आदर्श पुत्र,और उतनी ही करुणामयी मां।
परम पूज्यनीय मां हीराबेन के श्रीचरणों में कोटि कोटि नमन। हे वीर प्रसूतनी माता यह राष्ट्र हमेशा आपको स्मरण में रखेगा नरेन्द्र
भाई जैसे राष्ट्र पुरुष को जन्म देने हेतु। पुनः आपको कोटि कोटि प्रणाम। अश्रुपूर्ण शरदांजली । शत शत नमन।
डा राकेश पुंज।
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