कर्म जीवन में विशेष स्थान रखता है। सम्पूर्ण विश्व की रचना कर्म के आधार पर हुई है= सुश्री पूनम भारती
होशियारपुर=दलजीत अजनोहा
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। जिसमें संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरूदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री पूनम भारती जी ने अध्यात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्म जीवन में विशेष स्थान रखता है। सम्पूर्ण विश्व की रचना कर्म के आधार पर हुई है। जो जैसा कर्म करता है,उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। हमारे महापुरषों ने भी समझाया कि पाप और पारा दोंनों कभी भी नही पचते। पारे का घनत्व इतना अधिक होता है कि इस पर लोहा भी ऐसे है कि जैसे पानी पर सूखा पत्ता। यदि भूलवश भी पारे का महीन कण खा लिया जाए,तो वह शरीर के किसी भी अंग को चीरता हुआ बाहर अवश्य निकल जाता है। ठीक इसी तरह पाप कर्म भी पच नही सकते है। उनका फ ल भले ही देर से प्राप्त हो परन्तु वह तो मानव को भोगना ही पडता है। साध्वी जी ने अपने प्रवचनों में आगे बताया कि जब हम एक पूर्ण सद्गुरू की कृपा से ईश्चर का दर्शन अपने हृदय में करते है। तो हमारे जीवन के कुकर्म ही सद्कर्म में बदलने लग जाते है क्योकि सद्गुरू हमें वो दिव्य ज्ञान प्रदान करते है जिसको हमारे धार्मिक शास्त्र गंर्थो में बह्मज्ञान कहा जाता है जो कि आत्मा का परमात्मा से मिलन है। जब एक साधक नित्यप्रति सुमिरन साधना करता है तो बह्मज्ञान की अगिन हमारे बुरे कर्म संस्करों को जलाकर राख कर देती है और हम अपने भीतर एक दिव्य उर्जा का अनुभव करते है जो हमारा मार्ग दर्शक बनती है कि हमें अपने जीवन में किस तरह के कर्म करने है।
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