धर्म और राजनीति एक दूसरे से अलग नहीं हैं और धर्म के बिना राजनीति हो ही नहीं सकती=श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
होशियारपुर=दलजीत अजनोहा
टांडा रोड पर भगवान बिम्लांबा आश्रम में श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने मीडिया से बातचीत करने के दौरान कहा कि दुनियां जिसे ताजमहल के नाम से जानती है वह किसी समय मूल रूप से राजस्थान के राजा मान सिंह का हवेलीनुमा महल था जिसे बाद में मुगल सम्राट शाहजहां ने पुनर्निर्मित कर ताजमहल का रुप दे दिया था। देश के आजाद होने के बावजूद आज भी अपने ही देश के लोगों को गलत तथ्य का हवाला देकर बताया जा रहा है कि ताजमहल को साहजहां ने बनवाया था जो कि पूरी तरह से गलत है। राजा मान सिंह के हवेली के साथ ही तेजो महालय नाम से शिव मंदिर हुआ करता था जिसका कागजात आज भी राजपरिवार के पास है। अब तो यह मामला भी अदालत में पहुंच गया है जिसमें दावा किया गया है कि शाहजहां ने ताजमहल नहीं बनवाया था।
एक प्रश्न के जवाब में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि नरसिंहा राव सरकार के समय अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए मुझे आमंत्रित किया गया था लेकिन उऩ्होंने शर्त रख दी कि मंदिर के सामने ही मस्जिद बनेगी तो मैनें हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था क्योंकि इससे दोनों ही समुदाय के बीच संघर्ष कम नहीं बल्कि बढ़ने के ही आसार रहते। उन्होंने कहा कि देश की संसद व सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में रामजन्मभूमि पर ही अब रामलला विराजमान होंगे यह देश व दुनियां के लोगों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने मस्जिद के लिए अयोध्या से दूर फैजाबाद जिले में मस्जिद के लिए जमीन दिए जाने पर कहा कि इससे भविष्य में दोनों ही पक्षों के बीच तनाव नहीं रहेगी। उन्होंने देश के संसद व सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की भी जमकर सराहना की।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्मांतरण को लेकर कहा कि दीगर धर्मों के लोग देश के अंदर सोंची समझी षडयंत्र रचकर लोगों को लोभ का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश कर रहे हैं वह सही नहीं है। देश व राज्य की सरकारों से शंकराचार्य ने कहा कि या तो शासन करने की कला सीखें या इस तरह के षडयंत्र रचने वालों के खिलाफ कड़ी कारवाई करें। श्रीरामचरित मानस रामायण व सनातन धर्म पर टिप्पणी करने वालों को चाणक्य नीति का अध्ययन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उनलोगों में हिम्मत है तो बाइबल और कुरान पर कटाक्ष करके दिखाएं। धर्म और राजनीति एक दूसरे से अलग नहीं हैं और धर्म के बिना राजनीति हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र बनकर रहेगा।
देश में गिरते नैतिक पतन पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत काल में अंग्रेजों ने मैकाले को भारत भेजा था यह जानने के लिए कि यहां के लोगों पर राज कैसे लंबे समय तक कायम रखी जा सकती है। मैकाले भारत आकर जो कूटनीति बनाई वह तीन सी पर निर्भर है। सीसीसी यानि क्लब, कोर्ट व क्लास। इन तीनों के माध्यम से मैकाले ने कूटनीति का परिचय दिया। उसने अपने पिता को लिखा था कि भारत को नष्ट करने तीन सी का अविष्कार किया है। इससे भारत के न्याय प्रणाली और शासन प्रणाली आदि को दूषित करने करने का षड्यंत्र मैकाले ने चलाया था जिसके परिणामस्वरुप देश के अनमोल सांस्कृतिक विरासत में भी हो रही है नैतिक पतन ठीक नहीं।।
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