बेअंत बरीवाला के उपन्यास रज्जो कमली का विमोचन समारोह तलवाड़ा में आयोजित किया गया
होशियारपुर/तलवाड़ा/दलजीत अजनोहा
युवा लेखक बेअंत बरीवाला के पहले उपन्यास रज्जो कमली का आज तलवाड़ा में विमोचन हुआ। पंजाबी पॉडकास्ट दोआबा रेडियो के सहयोग से प्रकाशित यह उपन्यास 1984 दंगों की शिकार एक लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसने क्रूर परिस्थितियों के कारण अपना मानसिक संतुलन खो दिया था। इस अवसर पर प्रोफेसर सुरिंदर मंड, रविंदर सिंह चोट, जगदेव सिंह संधू, प्रोफेसर बीएस बल्ली, नवतेज गढ़दीवाला, प्रोफेसर अजय सहगल सहित अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
पंजाबी साहित्य एवं कला मंच (रजि.) तलवाड़ा के अध्यक्ष प्रो सुरिंदर मंड. ने साहित्य प्रेमियों का स्वागत किया और कहा कि बेअंत बरीवाला एक बहुत ही प्रतिभाशाली लेखक है जो अपने पहले प्रकाशित उपन्यास के साथ साहित्यिक हलकों में एक अलग पहचान बना रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने धरती दी वार से कुछ अंश प्रस्तुत करते हुए वैश्विक पर्यावरणीय गड़बड़ियों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि मानव अस्तित्व के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है।
पॉडकास्टर समरजीत सिंह शमी ने कहा कि दोआबा रेडियो के फिनलैंड स्टूडियो से भूपिंदर भारज के माध्यम से उपन्यास को पहले साझा किया गया और फिर इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की पहल की गई। सिकंदर सिंह औजला और अमेरिका के अन्य मित्रों के सहयोग से यह उपन्यास प्रकाशित किया गया है।
रविंदर सिंह चोट ने कहा कि यह उपन्यास अपने विषय के साथ न्याय करता है और इसने पंजाबी साहित्य में इजाफा किया है। प्रो. बी.एस. बल्ली ने सैदपुर के माध्यम से अपना कविता प्रस्तुत की और उपन्यास के प्रकाशन पर अपनी खुशी व्यक्त की। नवतेज गढ़दीवाला ने अपनी रचना भेड़ दिवस के माध्यम से भीड़ मनोविज्ञान पर एक सशक्त टिप्पणी की । प्रोफेसर अजय सहगल ने अपनी सुंदर संगीत रचना के माध्यम से प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई। अधिवक्ता राजन सैनी ने कहा कि पुस्तक की रचना के साथ ही लेखक और उसके पात्र अमर हो जाते हैं। लेखक बेअंत बरीवाला ने रज्जो कमाली के माध्यम से कहानी को पूरी ईमानदारी से रचा है।
लेखक बेअंत बारीवाला ने इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को धन्यवाद दिया और उपन्यास रज्जो कमाली के बारे में अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों की शिकार एक बदकिस्मत लड़की से प्रेरित होकर उन्होंने उसकी कहानी लिखने का बीड़ा उठाया और इस कहानी के माध्यम से उन्होंने उन लोगों की भावनाओं को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है जो मनुष्य की क्रूरता के कारण कुचले और लताड़े गए थे। प्रकाशक कुलदीप सिंह दीप ने भी उपन्यास पर अपने विचार साझा किए और अपनी पुस्तक गवाची धरत से रचनाएँ भी साझा कीं।
इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा योगेश्वर सलारिया, मनदीप सिंह नकोदर, अमरिन्दर सिंह बल्ल, चरणजीत कौर, सुखविन्दर कौर, मनदीप कौर दोआबा रेडियो, अमृत कौर आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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